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सौभाग्य का व्रत

प्रतियोगिता के लिए

सौभाग्य का व्रत

आज है सौभाग्य का व्रत, सज रही हैं गोरियाँ।
 मुस्कराती   हैं  हृदय  में, नेह  की ले डोरियाँ।
हार    साजे  है  गले  में, चमक  जाएं मोतियां।
कान   के  झुमके सुहाने, फैलती है ज्योतियाँ।

सोलहो श्रृंगार  कर  के, छनक पायल।   बाजती।
हाथ में पिय नाम लिख कर, मधुर मन वो लाजती।
रूप को दर्पण निरख कर, खुश हुई    जातीं घनी।
समझतीं है  आज खुद को, जगत की सबसे धनी।

कर रही श्रृंगार नख शिख, रह न जाये कुछ कमी।
आतुरा  सी  मार्ग    देखें,  द्वार   पर  आँखे थमीं।
बादलों  की   ओट में जा, चाँद छिप  जाये कहीं।
सुंदरी     के  अधर  टेसू, शुष्क  पड़   जाए वहीं।

थाल पूजा  सज गई है, पात्र जल भी  ले लिया।
आयु लंबी  पति जियें ये,प्रार्थना  प्रभु  से किया।
वे   खड़े   हैं  सामने ही, जल  पिलाते  हाथ  से।
देखते अति स्नेह भर कर, नयन हर्षित साथ से।

ज्यूँ रहे चंदा गगन में, लालिमा ज्यूँ  रवि  रहे।
त्यों रहे मुझ संग साजन, प्रेम की ये छवि रहे।
नेह  की  ये   रीति  प्यारी, राग  का  त्योहार ये।
प्यास   भी   लगती  नहीं, चौथ का  उपहार ये।

स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'

24/10/21

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3 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

27-Oct-2021 01:02 AM

Nice

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Niraj Pandey

25-Oct-2021 10:18 AM

वाह लाजवाब

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Sunanda Aswal

24-Oct-2021 11:17 PM

बहुत सुन्दर

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